राष्ट्रीय

पुलिस ने पप्पू यादव को महामारी अधिनियम के उल्लंघन मामले में गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में भेजा

पटना। बिहार के एक भाजपा सांसद के सांसद निधि से खरीदे गए दर्जनों एंबुलेंस के कोरोना महामारी के बावजूद इस्तेमाल नहीं किए जाने को उजागर कर हाल ही में सुर्खियों में आए पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को मंगलवार को यहां पुलिस ने महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम उल्लंघन के मामले में हिरासत में ले लिया। बाद शाम में वर्ष 1989 के एक पुराने लंबित कांड में जारी वारंट पर उन्हें न्यायिक हिरासत में मधेपुरा जिला भेज दिया गया। पटना शहर के मंदिरी स्थित निवास से मंगलवार सुबह पप्पू यादव को न्यायिक हिरासत में लेकर गांधी मैदान थाना ले जाया गया।
पीरबहोर थाना अध्यक्ष रिजवान अहमद खान ने बताया कि महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम उल्लंघन के मामले में यादव को हिरासत में लिया गया है। जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष यादव पर मंगलवार सुबह पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हंगामा करने एवं महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। मंगलवार शाम पुलिस उपाधीक्षक (नगर) सुरेश कुमार ने बताया कि कुमारखंड थाना से जुडे वर्ष 1989 के एक मामले में मधेपुरा से आयी एक पुलिस टीम उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर वहां जा रही है। इस मामले में यादव के खिलाफ पूर्व से वारंट जारी था।
यादव की पत्नी रंजित रंजन ने आरोप लगाया, ‘‘ ये लोग गिरफ्तारी के नाम पर षडयंत्र कर रहे हैं। उनकी जान को भी खतरा है। अगर गिरफ्तारी के दौरान उनके साथ कुछ भी उंच-नीच होता है जिसकी मुझे आशंका है, इसकी पूरी जिम्मेदारी राजग सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेनी पडेगी।’’ उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के शुरू होने के बाद से एक राजनेता होने के नाते वह (यादव) अपने घर-परिवार को छोडकर लगातार लोगों की मदद में लगे हुए थे पर साजिश के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर गांधी मैदान ले जाने के क्रम में यादव ने कहा, ‘‘ उन्हें कुछ नहीं पता कि क्यों ले जाया जा रहा है। गिरफ्तारी को लेकर सरकार से पूछिए।’’ मधेपुरा से पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि पहले ही उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा था,लोगों को बचाने का उन्हें यह ईनाम दिया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने पप्पू यादव मामले पर ट्वीट किया, ‘‘कोई जनप्रतिनिधि अगर दिन-रात जनता की सेवा करे और उसके एवज़ में उसे गिरफ़्तार किया जाए ऐसी घटना मानवता के लिए ख़तरनाक है। ऐसे मामलों की पहले न्यायिक जाँच हो तब ही कोई कारवाई होनी चाहिए नहीं तो जन आक्रोश होना लाज़मी है।’’ मांझी के बेटे संतोष सुमन नीतीश कुमार सरकार में मंत्री हैं। नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल एक अन्य मंत्री और विकासशील इन्सान पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष मुकेश साहनी ने ट्वीट किया, ‘‘जनता की सेवा ही धर्म होना चाहिए।
सरकार को जन प्रतिनिधि, सामाजिक संस्था एवं कार्यकर्ता को आमजन के मदद के लिए प्रेरित करना चाहिए। जन प्रतिनिधि को भी कोरोना गाइड्लाइन का सख़्ती से पालन करते हुए कार्य करना चाहिए। ऐसे समय में सेवा में लगे पप्पू यादव को गिरफ़्तार करना असंवेदनशील है।’’ इस बीच जनअधिकार पार्टी के समर्थकों ने आरोप लगाया कि यादव को परेशान किया जा रहा था, क्योंकि उन्होंने हाल ही में सारण के भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी के परिसर में कोरोना महामारी के बावजूद बिना इस्तेमाल हुए छुपाकर रखे गए बड़ी संख्या में एम्बुलेंस के मामले को उजागर किया था।
सांसद रुडी ने इसको लेकर पप्पू को आडे हाथों लेते हुए सफाई दी थी कि कोविड-19 के कारण चालक विहीन इन सभी वाहनों का संचालन नहीं हो पा रहा है जिसके लिए उन्होंने स्थानीय स्तर पर विज्ञापन भी निकाला था और सारण के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि जिला में जितने भी ऐसे चालक है जो वाहन की कमी के कारण परिचालन कार्य को नहीं कर पा रहे है उनकी सूची बनाकर अविलम्ब उपलब्ध कराते हुए उन्हें एम्बुलेंस के चालक के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाय। रूडी के संसदीय क्षेत्र स्थित एक प्रशिक्षण केंद्र में खड़ी इन एम्बुलेंस मामले में उनसे मिली चुनौती का करारा जवाब देते हुए पप्पू यादव ने 40 लाइसेंस धारी ड्राइवर खड़े कर दिए और कहा कि बिहार सरकार जहां भी एम्बुलेंस को ड्राइवर की जरूरत हो वे लें जाए।

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